हुई हर आँख ख़ाली आँसुओं से
By tasnim-abbas-quraishiMarch 1, 2024
हुई हर आँख ख़ाली आँसुओं से
हुए मानूस ऐसे हादसों से
मुझे तौहीद रास आने लगी है
नहीं अब राब्ता कोई बुतों से
क़फ़स में ज़िंदगी महसूस करना
कोई सीखे ज़रा इन ताएरों से
जिन्हें मंज़िल ने धुत्कारा था पहले
वो अब की बार लौटे रास्तों से
कोई नश्शा नहीं इन पानियों में
खुला ये राज़ आख़िर मय-कशों से
ख़ुशी से सह रहे हैं तेरी ख़ातिर
वगरना जान जाती थी ग़मों से
कहानी-कार की मर्ज़ी है 'तसनीम'
परिंदा जाएगा कब तक परों से
हुए मानूस ऐसे हादसों से
मुझे तौहीद रास आने लगी है
नहीं अब राब्ता कोई बुतों से
क़फ़स में ज़िंदगी महसूस करना
कोई सीखे ज़रा इन ताएरों से
जिन्हें मंज़िल ने धुत्कारा था पहले
वो अब की बार लौटे रास्तों से
कोई नश्शा नहीं इन पानियों में
खुला ये राज़ आख़िर मय-कशों से
ख़ुशी से सह रहे हैं तेरी ख़ातिर
वगरना जान जाती थी ग़मों से
कहानी-कार की मर्ज़ी है 'तसनीम'
परिंदा जाएगा कब तक परों से
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