हम इक परी की मोहब्बत में मुब्तला हो कर

By adnan-asarJanuary 18, 2025
हम इक परी की मोहब्बत में मुब्तला हो कर
हुए हैं क़ैद किसी गुम-शुदा जज़ीरे पर
तो मैं ये समझूँ कि रस्ता भटक गया होगा
अगर वो शाम को भी लौट कर न आया घर


बहुत से लोग तो ख़ुद को ख़ुदा समझते थे
मगर किसी के भी आगे नहीं झुकाया सर
वो एक रात तिरे हिज्र की वो पहली रात
तवील इतनी थी जैसे हो 'अर्सा-ए-महशर


किसी के ख़्वाब से मंसूब है ये बीनाई
मैं फोड़ दूँगा ये आँखें ब-सूरत-ए-दीगर
67624 viewsghazalHindi