हम को जहान-ए-शौक़ का मंज़र नहीं मिला

By adnan-asarJanuary 18, 2025
हम को जहान-ए-शौक़ का मंज़र नहीं मिला
रस्ते की तेज़ धूप मिली घर नहीं मिला
तुझ में जो बात है वो किसी और में कहाँ
तुझ सा कोई भी शख़्स कहीं पर नहीं मिला


ख़ुद ही चुना था मैं ने मोहब्बत का रास्ता
कोई भी दर्द ख़ुद मुझे आ कर नहीं मिला
डर था उसे वबा का ही पास-ए-वफ़ा न था
आया तो मुझ को दिल से लगा कर नहीं मिला


अब के बरस मैं गाँव से लौटा ब-ख़ैरियत
रस्ते में उस की याद का लश्कर नहीं मिला
मौजूद तो थे ज़ाहिरी अस्बाब भी तमाम
फिर सोचता हूँ वो मुझे क्यूँकर नहीं मिला


आए और आ के देख ले दामन की धज्जियाँ
जिस को कहीं दयार-ए-सितमगर नहीं मिला
14784 viewsghazalHindi