हम तिरे दिल से निकल आए मगर क्या निकले
By shahbaz-mehterFebruary 2, 2022
हम तिरे दिल से निकल आए मगर क्या निकले
जिस तरह कोई समुंदर में से प्यासा निकले
तेरे जाने से मिरा हल्क़ा-ए-अहबाब बढ़ा
अहल-ए-दर्द अहल-ए-मोहब्बत से ज़ियादा निकले
अब तिरे ज़िक्र पे आँसू नहीं टपका तो क्या
वक़्त तय करता है ये क़ैद रहे या निकले
मैं मोहब्बत में बहुत आगे निकल जाता हूँ
रात में जैसे सफ़र पर कोई अंधा निकले
हाल ऐसा हो कि हर देखने वाला रोए
सुनने वालों की ज़बानों से दिलासा निकले
जिस तरह कोई समुंदर में से प्यासा निकले
तेरे जाने से मिरा हल्क़ा-ए-अहबाब बढ़ा
अहल-ए-दर्द अहल-ए-मोहब्बत से ज़ियादा निकले
अब तिरे ज़िक्र पे आँसू नहीं टपका तो क्या
वक़्त तय करता है ये क़ैद रहे या निकले
मैं मोहब्बत में बहुत आगे निकल जाता हूँ
रात में जैसे सफ़र पर कोई अंधा निकले
हाल ऐसा हो कि हर देखने वाला रोए
सुनने वालों की ज़बानों से दिलासा निकले
96036 viewsghazal • Hindi