हम से अफ़्साने मोहब्बत के सुनाए न गए
By aftab-ranjhaMay 22, 2024
हम से अफ़्साने मोहब्बत के सुनाए न गए
दाग़-ए-दिल ऐसे भी थे उन को दिखाए न गए
बात कुछ भी न हुई थी कि वो होते नालाँ
कौन सी बात थी हम जिस पे रुलाए न गए
ऐ मिरे दोस्त तिरी नज़र-ए-करम है शायद
तू ने जो ग़म भी दिए थे वो छुपाए न गए
हम ने चाहा था कि कुछ भी न रहे याद हमें
न ही तुम याद रहे और भुलाए न गए
हालत-ए-वस्ल में हम इस के सिवा क्या करते
अश्क आँखों में जो ठहरे वो बहाए न गए
बस-कि इक दर्द-ए-मोहब्बत ही नहीं था 'बरहम'
क्या से क्या ज़ख़्म थे जो हम पे लगाए न गए
दाग़-ए-दिल ऐसे भी थे उन को दिखाए न गए
बात कुछ भी न हुई थी कि वो होते नालाँ
कौन सी बात थी हम जिस पे रुलाए न गए
ऐ मिरे दोस्त तिरी नज़र-ए-करम है शायद
तू ने जो ग़म भी दिए थे वो छुपाए न गए
हम ने चाहा था कि कुछ भी न रहे याद हमें
न ही तुम याद रहे और भुलाए न गए
हालत-ए-वस्ल में हम इस के सिवा क्या करते
अश्क आँखों में जो ठहरे वो बहाए न गए
बस-कि इक दर्द-ए-मोहब्बत ही नहीं था 'बरहम'
क्या से क्या ज़ख़्म थे जो हम पे लगाए न गए
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