हुस्न पर बढ़ के जान देने लगा
By salim-saleemFebruary 28, 2024
हुस्न पर बढ़ के जान देने लगा
'इश्क़ फिर इम्तिहान देने लगा
मैं ने काटी थी फ़स्ल-ए-ख़्वाब इक रात
और दिन को लगान देने लगा
सफ़-ब-सफ़ हो गए मिरे आँसू
कोई मुझ में अज़ान देने लगा
'इश्क़ फिर इम्तिहान देने लगा
मैं ने काटी थी फ़स्ल-ए-ख़्वाब इक रात
और दिन को लगान देने लगा
सफ़-ब-सफ़ हो गए मिरे आँसू
कोई मुझ में अज़ान देने लगा
36291 viewsghazal • Hindi