इब्न-ए-मरियम की शफ़ाअत शोख़ी-ए-ईजाद तक

By abaan-asif-kachkarApril 22, 2024
इब्न-ए-मरियम की शफ़ाअत शोख़ी-ए-ईजाद तक
ख़ानुमाँ तामीर-ए-नौ शुद ख़ानुमाँ बर्बाद तक
फिर कि आज़ा-ए-मजालिस ख़ुद किए जाने लगे
दाद-ए-फ़न तकमील-ए-सोज़िश उन के वाँ इरशाद तक


आशिक़ी मुझ बे-नवा की मुस्तनद कब क्या रही
चल रहे हैं सहरा सहरा क़ैस से फ़रहाद तक
कू-ब-कू मातम बपा है दू-ब-दू गर्दन कटी
आमद-ए-इंसान है फिर दार पर सय्याद तक


क्या हुआ मंसूर का इतना तनाज़ा इस क़दर
ता-नज़'अ था हक़ का मक़्दम हक़ के ही औराद तक
दिल के अज्ज़ा अब ख़रीदे जा रहे हैं शौक़ से
दिल जुदा है दम दवा से साअ'त-ए-उफ़्ताद तक


ये तसव्वुफ़ तौर-ए-मरहम शाइरी का ढब कहाँ
है 'अबान' मौज-ए-ग़ज़ल उर्दू का है उस्ताद तक
28860 viewsghazalHindi