इधर उगा रहा हूँ मैं मचल मचल के फूल
By kunaal-barkadeFebruary 27, 2024
इधर उगा रहा हूँ मैं मचल मचल के फूल
उधर वो तोड़ रहा है उछल उछल के फूल
पुराना 'इश्क़ नए 'इश्क़ में तलाशते हो
नहीं मिलेगी वो ख़ुशबू तुम्हें बदल के फूल
तुम्हारे बालों में सज कर ये मुरझा ही जाएँ
बहुत ही ख़ुश हैं ये गुलदान से निकल के फूल
जगह जगह पे मिलेंगे ये तोड़ने वाले
खिलो खिलो दु'आ है पर खिलो सँभल के फूल
मैं फूल हाथों में पकड़े ये सोचता हूँ कि वो
करे क़ुबूल भले पैरों से कुचल के फूल
किसी भी रिश्ते का देखा है किस ने मुस्तक़बिल
बनेंगे दिल के लिए काँटे आगे चल के फूल
उधर वो तोड़ रहा है उछल उछल के फूल
पुराना 'इश्क़ नए 'इश्क़ में तलाशते हो
नहीं मिलेगी वो ख़ुशबू तुम्हें बदल के फूल
तुम्हारे बालों में सज कर ये मुरझा ही जाएँ
बहुत ही ख़ुश हैं ये गुलदान से निकल के फूल
जगह जगह पे मिलेंगे ये तोड़ने वाले
खिलो खिलो दु'आ है पर खिलो सँभल के फूल
मैं फूल हाथों में पकड़े ये सोचता हूँ कि वो
करे क़ुबूल भले पैरों से कुचल के फूल
किसी भी रिश्ते का देखा है किस ने मुस्तक़बिल
बनेंगे दिल के लिए काँटे आगे चल के फूल
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