इस दश्त-ए-बे-अमाँ में उतरना मुझे भी है

By ezaz-kazmiOctober 29, 2020
इस दश्त-ए-बे-अमाँ में उतरना मुझे भी है
पास इस दिल-ए-हज़ीं का तो वर्ना मुझे भी है
दुनिया हसीन-तर है मगर ऐ मिरे ख़ुदा
भेजा है तू ने और गुज़रना मुझे भी है


फ़ुर्सत मिली तो तर्क करूँगा तअ'ल्लुक़ात
ये काम एक बार तो करना मुझे भी है
उस ने भी एक आन नज़र आना है ज़रूर
इस भीड़ में कहीं से उभरना मुझे भी है


बस सोचता यही हूँ मैं 'ए'ज़ाज़'-काज़मी
जितना भी जी लूँ आख़िरश मरना मुझे भी है
16504 viewsghazalHindi