इश्क़ के अफ़्साने क्या हैं शरह-ए-हुस्न-ए-यार है By Ghazal << दश्ना-ए-दर्द हर इक साँस म... वो चराग़-ए-ज़ीस्त बन कर र... >> इश्क़ के अफ़्साने क्या हैं शरह-ए-हुस्न-ए-यार है आइने गो मुख़्तलिफ़ हैं एक ही दीदार है ऐ तआ'लल्लाह कैसा इश्क़ का आज़ार है दिल भी रौशन हो गया है रूह भी बेदार है सुन रहा हूँ साज़-ए-हस्ती पर सुरूद-ए-सरमदी बे-ख़ुदी-ए-शौक़ में क्या ज़िंदगी बेदार है Share on: