'इश्क़ है हम से तो ये वहम गुमाँ कैसे हैं

By abrar-asarJune 19, 2024
'इश्क़ है हम से तो ये वहम गुमाँ कैसे हैं
फिर गिले शिकवे बता ज़ेर-ए-ज़बाँ कैसे हैं
तुम तो कहते थे कि सब सूख गए हैं लेकिन
फिर हमें देख के ये अश्क रवाँ कैसे हैं


जब रक़ीबों से नहीं है कोई रिश्ता तो बता
राह में फिर तिरे क़दमों के निशाँ कैसे हैं
कौन ज़िंदान में अब मुझ को बताए आ कर
दोस्त कैसे हैं मिरे दुश्मन-ए-जाँ कैसे हैं


नुक्ता-चीनी जो किया करते थे हर बात पे वो
शहर के मेरे सभी अहल-ए-ज़बाँ कैसे हैं
फ़िक्र उस को है बहुत मेरी ख़बर है मुझ को
तुम न कर देना बयाँ जा के वहाँ कैसे हैं


ये न कहना कि तड़पते हैं तिरी यादों में
वो अगर पूछे कि 'अबरार' मियाँ कैसे हैं
62548 viewsghazalHindi