इतना अपना हो जाता हूँ

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
इतना अपना हो जाता हूँ
चादर तकिया हो जाता हूँ
तुझ को कमाने के चक्कर में
तेरा ख़सारा हो जाता हूँ


बाज़ारों की चमक-दमक में
और पुराना हो जाता हूँ
जिस की पीठ हो मेरी जानिब
उस का साया हो जाता हूँ


खोने तक तो ठीक है लेकिन
ढूँढने वाला हो जाता हूँ
सच की शक्ल बदल जाती है
और मैं झूठा हो जाता हूँ


ख़ुद ही तमाशा करते करते
महव-ए-तमाशा हो जाता हूँ
लगता ये है मर जाऊँगा
लेकिन अच्छा हो जाता हूँ


16608 viewsghazalHindi