इतना तन्हाई से घबराने लगे हैं
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
इतना तन्हाई से घबराने लगे हैं
बे-ज़रूरत काम उलझाने लगे हैं
जो भँवर गहराई में पड़ते थे पहले
अब किनारे पर नज़र आने लगे हैं
कोई तो मंज़िल का रस्ता है इधर से
रास्ते घर की तरफ़ जाने लगे हैं
यूँ भी लाज़िम है नया कोई तमाशा
लोग बाज़ीगर से उकताने लगे हैं
जो तिरे कूचे को जाते थे वो रस्ते
दूसरी दुनिया में ले जाने लगे हैं
हो गया है मौत का एहसास शायद
जल्दी जल्दी काम निमटाने लगे हैं
बे-ज़रूरत काम उलझाने लगे हैं
जो भँवर गहराई में पड़ते थे पहले
अब किनारे पर नज़र आने लगे हैं
कोई तो मंज़िल का रस्ता है इधर से
रास्ते घर की तरफ़ जाने लगे हैं
यूँ भी लाज़िम है नया कोई तमाशा
लोग बाज़ीगर से उकताने लगे हैं
जो तिरे कूचे को जाते थे वो रस्ते
दूसरी दुनिया में ले जाने लगे हैं
हो गया है मौत का एहसास शायद
जल्दी जल्दी काम निमटाने लगे हैं
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