इज़्तिराब-ए-ग़म से हासिल है सुकून-ए-दिल मुझे

By muhammad-hasan-ahsan-maliganviMay 7, 2022
इज़्तिराब-ए-ग़म से हासिल है सुकून-ए-दिल मुझे
अब कोई मुश्किल नज़र आती नहीं मुश्किल मुझे
चलते ही जादू मिरे दिल पर फ़रेब-ए-हुस्न का
कर दिया आग़ाज़ ने अंजाम से ग़ाफ़िल मुझे


मेरी ख़ुश-फ़हमी है या है मेरी आँखों का क़ुसूर
मौज में आए नज़र नज़्ज़ारा-ए-साहिल मुझे
महफ़िल-ए-इशरत न बन जाए कहीं मातम-कदा
इस लिए उठने नहीं देता है दर्द-ए-दिल मुझे


बे-ख़ुदी ही बे-ख़ुदी है ऐ निगाह-ए-शौक़-ए-दीद
वो मुझे हासिल है लेकिन क्या हुआ हासिल मुझे
खो दिया मुझ को फ़रेब-ए-जुस्तुजू-ए-यार ने
हाए मंज़िल भी नहीं मिलती सर-ए-मंज़िल मुझे


आ गई काम आ गई 'अहसन' मिरी दीवानगी
वो समझने लग गए ज़ंजीर के क़ाबिल मुझे
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