जाना है आज आना है कल कुछ तो बोल जा
By bilal-sabirMarch 1, 2024
जाना है आज आना है कल कुछ तो बोल जा
ऐ मेरे मसअले मिरे हल कुछ तो बोल जा
ये सीना मेरा सुनता है सीने की गुफ़्तुगू
तू ख़ामुशी से आज न टल कुछ तो बोल जा
वो आँखें मेरी आँखों में कहती थीं डूब कर
अब बोल बोल अब न सँभल कुछ तो बोल जा
इक साँस चीख़ती थी मैं चुप आ रहा था जब
सूरज-मुखी गुलाब कँवल कुछ तो बोल जा
तू क़ाफ़ियों की देवी है मतरूक बहर में
मुझ पर ग़ज़ल नहीं तो हज़ल कुछ तो बोल जा
ऐ मेरे मसअले मिरे हल कुछ तो बोल जा
ये सीना मेरा सुनता है सीने की गुफ़्तुगू
तू ख़ामुशी से आज न टल कुछ तो बोल जा
वो आँखें मेरी आँखों में कहती थीं डूब कर
अब बोल बोल अब न सँभल कुछ तो बोल जा
इक साँस चीख़ती थी मैं चुप आ रहा था जब
सूरज-मुखी गुलाब कँवल कुछ तो बोल जा
तू क़ाफ़ियों की देवी है मतरूक बहर में
मुझ पर ग़ज़ल नहीं तो हज़ल कुछ तो बोल जा
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