जाने सूली पे हम चढ़ाए गए
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
जाने सूली पे हम चढ़ाए गए
या तमाशाई आज़माए गए
ये भी तौहीन-ए-रंग-ओ-बू ही तो है
फूल बाज़ार ले के आए गए
बे-सबब ज़ोर डाला आँखों पर
बे-ज़रूरत गले बिठाए गए
तब जो दाख़िल हुआ वो हम तो न थे
घर में दोबारा जब बुलाए गए
मैं बताता हूँ अपने सारे गुनाह
तुम से कब सब के सब गिनाए गए
भर गई रहगुज़ार फूलों से
पेड़ जब ज़ोर से हिलाए गए
या तमाशाई आज़माए गए
ये भी तौहीन-ए-रंग-ओ-बू ही तो है
फूल बाज़ार ले के आए गए
बे-सबब ज़ोर डाला आँखों पर
बे-ज़रूरत गले बिठाए गए
तब जो दाख़िल हुआ वो हम तो न थे
घर में दोबारा जब बुलाए गए
मैं बताता हूँ अपने सारे गुनाह
तुम से कब सब के सब गिनाए गए
भर गई रहगुज़ार फूलों से
पेड़ जब ज़ोर से हिलाए गए
30826 viewsghazal • Hindi