जब अपनी रूह के अहवाल में शामिल नहीं समझा

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
जब अपनी रूह के अहवाल में शामिल नहीं समझा
त'अल्लुक़ तोड़ने के भी उसे क़ाबिल नहीं समझा
'अजब दर था न खुलने पर भी उस का फ़ैज़ जारी था
'अजब ख़ैरात थी जिस को कोई साइल नहीं समझा


सभी समझे मुझे उस से जुदा होने की जल्दी थी
कोई भी देखने वाला मिरी मुश्किल नहीं समझा
मोहब्बत के सिवा भी हैं बहुत से मसअले उस के
दिमाग़ इस बात को समझा है लेकिन दिल नहीं समझा


कभी इस आसमाँ की दिलकशी में गुम नहीं होता
कभी सोए हुए दुश्मन को मैं ग़ाफ़िल नहीं समझा
42056 viewsghazalHindi