जब कभी हिज्र के आसार नज़र आते हैं

By shazia-niyaziFebruary 29, 2024
जब कभी हिज्र के आसार नज़र आते हैं
हम उसी वक़्त से बीमार नज़र आते हैं
उस को भी रात की रानी ने मगन रक्खा है
मेरी खिड़की से भी अश्जार नज़र आते हैं


सब ने बंदूक़ उठाई है हमारी जानिब
एक तुम को ही वफ़ादार नज़र आते हैं
आप से 'इश्क़ तो मंसूब नहीं हो सकता
आप वैसे भी समझदार नज़र आते हैं


जान लेने की सुहूलत है मयस्सर उस को
मुझ को भी ख़्वाब में हथियार नज़र आते हैं
पारसाई से थी पहचान कभी बस्ती की
अब तो हर सम्त गुनहगार नज़र आते हैं


देखने वालों की आँखों में चुभन होती है
हम जो इक साथ चमकदार नज़र आते हैं
75494 viewsghazalHindi