जब फेर कर निगाह हर अपना पराया जाए
By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
जब फेर कर निगाह हर अपना पराया जाए
मुश्किल ये है कि ऐसे में कौन आज़माया जाए
हम आग से डराए हुए लोग हैं हमें
इक मेहरबाँ नदी के किनारे बसाया जाए
हाँ तुम वफ़ा-परस्त हो भूका हवस का मैं
क़स्में न खाई जाएँ मुझे कुछ खिलाया जाए
बीमार से तो पूछिए उस को है किस का रोग
चारागरी के वास्ते किस को बुलाया जाए
दोनों ही अपनी कश्तियाँ ज़िद में जला चुके
बेहतर है ऐसे 'इश्क़ को अब भूल जाया जाए
आना नहीं है जिस को नहीं आएगा कभी
आँखें बिछाई जाएँ कि अब दिल जलाया जाए
मुश्किल ये है कि ऐसे में कौन आज़माया जाए
हम आग से डराए हुए लोग हैं हमें
इक मेहरबाँ नदी के किनारे बसाया जाए
हाँ तुम वफ़ा-परस्त हो भूका हवस का मैं
क़स्में न खाई जाएँ मुझे कुछ खिलाया जाए
बीमार से तो पूछिए उस को है किस का रोग
चारागरी के वास्ते किस को बुलाया जाए
दोनों ही अपनी कश्तियाँ ज़िद में जला चुके
बेहतर है ऐसे 'इश्क़ को अब भूल जाया जाए
आना नहीं है जिस को नहीं आएगा कभी
आँखें बिछाई जाएँ कि अब दिल जलाया जाए
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