जगह दे दो ज़रा सी देखने को मिरी आँखें हैं प्यासी देखने को उन्हें आने दो मेरे आइने तक जो आए हैं उदासी देखने को तिरी पूजा को आया है ज़माना तिरी ये एक उदासी देखने को तअ'फ़्फ़ुन है रुकावट है घुटन है यहाँ है बस निकासी देखने को सड़क हो घर हो या दीवार-ए-ख़ल्वत वही मंज़र है बासी देखने को यहाँ सब पारसा बिन पारसा हैं नहीं है कोई आसी देखने को कसी ने कुछ नहीं देखा अभी तक लगी है भीड़ ख़ासी देखने को