जहाँ जहाँ पर क़दम रखोगे तुम्हें मिलेगी वहीं उदासी

By ayush-charagOctober 27, 2020
जहाँ जहाँ पर क़दम रखोगे तुम्हें मिलेगी वहीं उदासी
ये राज़ कुछ इस तरह समझ लो मकाँ मिरा है मकीं उदासी
समय की आँखों से देखिए तो हर इक खंडर में छुपे मिलेंगे
कहीं पे बचपन कहीं जवानी कहीं बुढ़ापा कहीं उदासी


मिरे शबिस्ताँ के पास कोई बुरी तरह कल सिसक रहा था
मैं उस के सीने से लग के बोला नहीं उदासी नहीं उदासी
बधाई चहकीं दुआएँ गूँजी तमाम चेहरे ख़ुशी से झूमे
क़ुबूल है तीन बार बोली जब एक पर्दा-नशीं उदासी


बिछड़ने वाले बिछड़ते टाइम न कह सके कुछ न सुन सके कुछ
बस एक फोटो में क़ैद कर ली गई बला की हसीं उदासी
शफ़ीक़ सूरज ख़मोश पानी मगर अभी भी कमी है कुछ कुछ
'चराग़'-साहब के शे'र पढ़ कर करें मुकम्मल हमीं उदासी


46159 viewsghazalHindi