जहाँ जहाँ पर दरवाज़ा था वहाँ वहाँ दीवार हुई

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
जहाँ जहाँ पर दरवाज़ा था वहाँ वहाँ दीवार हुई
कुछ तो फ़ज़ा-ए-कूचा-ए-जानाँ अपने लिए हमवार हुई
तेरे 'अलावा किसे बताएँ समझे कौन कि तेरे बग़ैर
और इक रात आराम से सोए और इक रात उधार हुई


इक कश्ती का बोझ है गहरी नींद से बोझल लहरों पर
दिल में दरिया पार उतरने की ख़्वाहिश बेदार हुई
आओ मिल के दु'आएँ माँगें अपने खेत उजड़ने की
अब के घर घर आग बटेगी फ़स्ल अगर तय्यार हुई


देख ‘इबादत-गाह के दरवाज़े पर भीड़ फ़क़ीरों की
इतना चले और एक क़दम की मसाफ़त इन पर बार हुई
इन पौदों को किस दरिया के पानी ने सैराब किया
एक ही फूल में रंग से ख़ुश्बू सात समुंदर पार हुई


आज न जाने क्या गुज़रेगी तन्हा सोने वालों पर
इक जाड़े की रात ऊपर से बारिश मूसला-धार हुई
65569 viewsghazalHindi