जहाँ शराब का मैं ने गिलास देखा है

By aadil-aseer-dehlviJanuary 1, 2025
जहाँ शराब का मैं ने गिलास देखा है
ग़म-ए-हयात तुझे बद-हवास देखा है
जो इंकिसार है मेरा हिजाब-आलूदा
तिरे ग़ुरूर को भी बे-लिबास देखा है


किसी अमीर का कैफ़-ओ-सुरूर याद आया
किसी ग़रीब को जब भी उदास देखा है
हमें फ़रेब दिया है उस आदमी ने ज़रूर
जिसे ज़रा सा भी चेहरा-शनास देखा है


मिरी हयात से वाक़िफ़ नहीं क़लम मेरा
कि शा'इरी ने फ़क़त इक़्तिबास देखा है
89398 viewsghazalHindi