ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इश्क़ By मोहब्बत, इश्क़, लव, Ghazal << दो-जहाँ को निगह-ए-इज्ज़ स... दौलत-ए-दुनिया कहाँ दरकार ... >> ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इश्क़ पर हक़ीक़त में जाँ-फ़ज़ा है इश्क़ देता है लाख तरह से तस्कीन मरज़-ए-हिज्र में दवा है इश्क़ ता-दम-ए-मर्ग साथ देता है एक महबूब-ए-बा-वफ़ा है इश्क़ देख 'नस्साख़' गर न होता कुफ़्र कहते बे-शुबह हम ख़ुदा है इश्क़ Share on: