ज़िंदगी भर मैं सरगिरानी से
By saqi-amrohviNovember 17, 2020
ज़िंदगी भर मैं सरगिरानी से
ऐसे खेला हूँ जैसे पानी से
कितने ही ग़म निखरने लगते हैं
एक लम्हे की शादमानी से
हर कहानी मिरी कहानी थी
जी न बहला किसी कहानी से
सिर्फ़ वक़्ती सुकून मिलता है
प्यास बुझती नहीं है पानी से
मुझ को क्या क्या न दुख मिले 'साक़ी'
मेरे अपनों की मेहरबानी से
ऐसे खेला हूँ जैसे पानी से
कितने ही ग़म निखरने लगते हैं
एक लम्हे की शादमानी से
हर कहानी मिरी कहानी थी
जी न बहला किसी कहानी से
सिर्फ़ वक़्ती सुकून मिलता है
प्यास बुझती नहीं है पानी से
मुझ को क्या क्या न दुख मिले 'साक़ी'
मेरे अपनों की मेहरबानी से
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