ज़िंदगी के शिकार कितने हैं
By shiv-om-misra-anvarJanuary 8, 2021
ज़िंदगी के शिकार कितने हैं
हम पे होने को वार कितने हैं
ख़ूब हँसते थे पीठ के पीछे
सामने सोगवार कितने हैं
हम भी सैराब हो चुके ग़म से
अब यहाँ रोज़गार कितने हैं
जिस्म की टूटी सरहदों के पार
दिल के बाक़ी दयार कितने हैं
मेरी आँखों के क़ैद-ख़ाने से
ख़्वाब मेरे फ़रार कितने हैं
हम पे होने को वार कितने हैं
ख़ूब हँसते थे पीठ के पीछे
सामने सोगवार कितने हैं
हम भी सैराब हो चुके ग़म से
अब यहाँ रोज़गार कितने हैं
जिस्म की टूटी सरहदों के पार
दिल के बाक़ी दयार कितने हैं
मेरी आँखों के क़ैद-ख़ाने से
ख़्वाब मेरे फ़रार कितने हैं
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