ज़र्द मौसम में नए फूल खिलाने वाले

By hamza-hashmi-sozOctober 31, 2020
ज़र्द मौसम में नए फूल खिलाने वाले
मुंदमिल कर न सके ज़ख़्म पुराने वाले
कौन साैदा-ए-दुआ करता है ज़ख़्मों के एवज़
हम कहाँ और कहाँ लोग ज़माने वाले


फ़ुर्सत-ए-ख़्वाब कहाँ ऐसे हुए हैं बेदार
तेरे झोंके भी नहीं नींद में लाने वाले
चाशनी जा नहीं सकती कभी लफ़्ज़ों से तिरी
चाहे मज़मून दर आएँ कई आने वाले


देखना तुर्रा-ए-शह सा वो मआल-ओ-हंगाम
सर भी धर जाएँगे दस्तार बचाने वाले
फ़िक्र दामाँ की नहीं करते निकल आते हैं
इक ही सिलवट पे कई हर्फ़ उठाने वाले


आज गरचे नहीं इक रोज़ करेंगे चर्चा
मेरे अहबाब नहीं मुझ को भुलाने वाले
94819 viewsghazalHindi