जवाब चीख़ उठे हैं सवाल चीख़ उठे

By chand-akbarabadiOctober 28, 2020
जवाब चीख़ उठे हैं सवाल चीख़ उठे
कहीं पे लफ़्ज़ कहीं पर ख़याल चीख़ उठे
दिखा ये ख़्वाब कि कल रात मर गया हूँ मैं
गुनाह जितने थे सब हस्ब-ए-हाल चीख़ उठे


कहीं इमाम कहीं मुक़तदी मिले जाहिल
अज़ानें सुन के हमारी बिलाल चीख़ उठे
फिसल गई मिरी मुट्ठी से ज़िंदगी की रेत
घड़ी से हारे जो लम्हे तो साल चीख़ उठे


बना के अपनी ही तस्वीर ख़ुद पशेमाँ हूँ
जो रंग मैं ने भरे सब्ज़ लाल चीख़ उठे
14600 viewsghazalHindi