जज़्बा-ए-शौक़ का इज़हार करूँ या न करूँ
By umar-quraishiFebruary 8, 2022
जज़्बा-ए-शौक़ का इज़हार करूँ या न करूँ
दिल को रुस्वा सर-ए-बाज़ार करूँ या न करूँ
दर्द ख़ुद बढ़ के हुआ जाता है दरमाँ दिल का
अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार करूँ या न करूँ
क़ैस-ओ-मंसूर की तक़लीद से दम घुटता है
एहतिमाम-ए-रसन-ओ-दार करूँ या न करूँ
जिस को ख़ुद्दारी-ए-जज़्बात का एहसास न हो
नज़्र उस को दिल-ए-ख़ुद्दार करूँ या न करूँ
उस की रुस्वाई का बाइ'स न हों मेरी ग़ज़लें
नज़्र-ए-अहबाब ये शहकार करूँ या न करूँ
ले न अंगड़ाई कहीं गर्दिश-ए-अय्याम 'उमर'
हुस्न-ए-ख़्वाबीदा को बेदार करूँ या न करूँ
दिल को रुस्वा सर-ए-बाज़ार करूँ या न करूँ
दर्द ख़ुद बढ़ के हुआ जाता है दरमाँ दिल का
अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार करूँ या न करूँ
क़ैस-ओ-मंसूर की तक़लीद से दम घुटता है
एहतिमाम-ए-रसन-ओ-दार करूँ या न करूँ
जिस को ख़ुद्दारी-ए-जज़्बात का एहसास न हो
नज़्र उस को दिल-ए-ख़ुद्दार करूँ या न करूँ
उस की रुस्वाई का बाइ'स न हों मेरी ग़ज़लें
नज़्र-ए-अहबाब ये शहकार करूँ या न करूँ
ले न अंगड़ाई कहीं गर्दिश-ए-अय्याम 'उमर'
हुस्न-ए-ख़्वाबीदा को बेदार करूँ या न करूँ
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