जिगर में सोज़ है दीदार-ए-यार से पहले
By muhammad-hasan-ahsan-maliganviMay 7, 2022
जिगर में सोज़ है दीदार-ए-यार से पहले
चमन में आग लगी है बहार से पहले
तह-ए-मज़ार किए किस ने दाग़-ए-दिल रौशन
पतंगे आ गए शम-ए-मज़ार से पहले
ये जल्वा-गाह सलामत मुझे वही दे दो
जो महवियत थी ग़म-ए-इंतिज़ार से पहले
मज़ा क़रार में ज़ाइद कि बे-क़रारी में
ये पूछ मेरे दिल-ए-बे-क़रार से पहले
इलाही कौन था तख़रीब-ए-गुल्सिताँ में निहाँ
ख़िज़ाँ के भेस में फ़स्ल-ए-बहार से पहले
घटा ये छाई हुई बे-सबब नहीं 'अहसन'
धुआँ उठा था दिल-ए-सोगवार से पहले
चमन में आग लगी है बहार से पहले
तह-ए-मज़ार किए किस ने दाग़-ए-दिल रौशन
पतंगे आ गए शम-ए-मज़ार से पहले
ये जल्वा-गाह सलामत मुझे वही दे दो
जो महवियत थी ग़म-ए-इंतिज़ार से पहले
मज़ा क़रार में ज़ाइद कि बे-क़रारी में
ये पूछ मेरे दिल-ए-बे-क़रार से पहले
इलाही कौन था तख़रीब-ए-गुल्सिताँ में निहाँ
ख़िज़ाँ के भेस में फ़स्ल-ए-बहार से पहले
घटा ये छाई हुई बे-सबब नहीं 'अहसन'
धुआँ उठा था दिल-ए-सोगवार से पहले
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