जिस ने ग़ैरों को अपना जाना है
By prabhat-patelFebruary 28, 2024
जिस ने ग़ैरों को अपना जाना है
उस के क़दमों पे ये ज़माना है
अश्क-बारी है शौक़ आँखों का
तेरा जाना तो इक बहाना है
ज़िंदगी में उसी ने है लूटा
अपना हम ने जिसे भी माना है
बा'द बचपन के हम ने ये समझा
ज़ीस्त का नाम ग़म उठाना है
ग़म है बे-शक मगर जहाँ के लिए
दिल को समझा के मुस्कुराना है
हाँ बदी का सिला मिलेगा बशर
वक़्त के हाथ ताज़ियाना है
सब्र की इंतिहा तलक ऐ ज़ीस्त
तेरे ज़ुल्मों को आज़माना है
उस के क़दमों पे ये ज़माना है
अश्क-बारी है शौक़ आँखों का
तेरा जाना तो इक बहाना है
ज़िंदगी में उसी ने है लूटा
अपना हम ने जिसे भी माना है
बा'द बचपन के हम ने ये समझा
ज़ीस्त का नाम ग़म उठाना है
ग़म है बे-शक मगर जहाँ के लिए
दिल को समझा के मुस्कुराना है
हाँ बदी का सिला मिलेगा बशर
वक़्त के हाथ ताज़ियाना है
सब्र की इंतिहा तलक ऐ ज़ीस्त
तेरे ज़ुल्मों को आज़माना है
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