जिस तरफ़ कोई न आ पाया उधर आया तू

By bilal-sabirMarch 1, 2024
जिस तरफ़ कोई न आ पाया उधर आया तू
मैं तुझे सोचने बैठा तो नज़र आया तू
ऐ मिरे फूल ये गुलदान नहीं मरक़द है
तुझ को आना था किधर और किधर आया तू


तेरी पेशानी पे इक मिसरा' लिखेंगे ये लब
यार इस बार मिरे सामने गर आया तू
ऐ मिरे शे'र बहुत ख़ूब उसे डस आया
मेरी उम्मीद पे इस बार उतर आया तू


'इश्क़ मुझ को तिरी परवाज़ तिरे पर से था
ऐ चकोर आया तो क्यों उन को कतर आया तू
98406 viewsghazalHindi