जिस्म बचा है जाने भर का

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
जिस्म बचा है जाने भर का
सिर्फ़ कफ़न पहनाने भर का
कैसा ला-महदूद जहाँ था
रक़्बा था मयख़ाने भर का


इक ऐसी तस्वीर हूँ जिस में
रंग नहीं धुँदलाने भर का
कुछ भी नहीं कह पाए उस से
वक़्त था हाथ हिलाने भर का


इस इल्ज़ाम में सच तो छोड़ो
झूट नहीं झुटलाने भर का
हम इक घर के आधे वारिस
दीवाना वीराने भर का


इन सूनी राहों में 'शारिक़'
काम नहीं भटकाने भर का
44816 viewsghazalHindi