जितने हैं रंग-ए-चमन रंग-ए-हिना हो जाएँगे

By afroz-rizviMay 22, 2024
जितने हैं रंग-ए-चमन रंग-ए-हिना हो जाएँगे
तुम हमें देखोगे और हम आइना हो जाएँगे
ख़ाक ओढ़ेंगे फिरेंगे कू-ब-कू और उस के बा'द
हम तिरी फ़ुर्क़त में जाने क्या से क्या हो जाएँगे


नक़्श बन कर पानियों में डूबते हैं जिस तरह
देखना इस तरह इक दिन हम फ़ना हो जाएँगे
मौत की आँधी चलेगी और फिर मेरे चराग़
देखते ही देखते नज़्र-ए-हवा हो जाएँगे


अपनी ख़ुशबुएँ उतरने दो हमारे जिस्म में
फूल की सूरत खिलेंगे हम सबा हो जाएँगे
वस्ल की शब जगमगाएगी दिल-ए-अफ़्लाक पर
चाँद और सूरज तुम्हारे नक़्श-ए-पा हो जाएँगे


देख लेना टूट कर शाख़-ए-शजर से एक दिन
ख़ुश्क पत्ते आँधियों के हम-नवा हो जाएँगे
एक दिन 'अफ़रोज़' जितने भी हैं आहंग-ए-हयात
गुम्बद-ए-जाँ में वो सब ही बे-सदा हो जाएँगे


84796 viewsghazalHindi