जो रंजिशें थीं उन्हें बरक़रार रहने दिया
By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
जो रंजिशें थीं उन्हें बरक़रार रहने दिया
गले मिले भी तो दिल में ग़ुबार रहने दिया
नए मकान की ता'मीर कर तो ली हम ने
पुरानी छत को मगर बरक़रार रहने दिया
न कोई ख़्वाब दिखाया न ग़म दिया उस को
बस उस की आँखों में इक इंतिज़ार रहने दिया
उसे भुला भी दिया याद भी रखा उस को
नशा उतार दिया और ख़ुमार रहने दिया
गली के मोड़ से आवाज़ दे के लौट आए
तमाम रात उसे बे-क़रार रहने दिया
वो हम को तोड़ के जाता तो भूल जाते उसे
निकलने वाले ने लेकिन हिसार रहने दिया
न जाने क्या था कि उस से फ़रेब खा कर भी
उसी के हाथ में सब इख़्तियार रहने दिया
ये सर्द रुत भी हमें ख़ुद को तापते गुज़री
ग़ज़ल को हम ने मगर साया-दार रहने दिया
बड़ा गुमान था उस को हमारी चाहत का
'शकील' हम ने भी उस का ख़ुमार रहने दिया
गले मिले भी तो दिल में ग़ुबार रहने दिया
नए मकान की ता'मीर कर तो ली हम ने
पुरानी छत को मगर बरक़रार रहने दिया
न कोई ख़्वाब दिखाया न ग़म दिया उस को
बस उस की आँखों में इक इंतिज़ार रहने दिया
उसे भुला भी दिया याद भी रखा उस को
नशा उतार दिया और ख़ुमार रहने दिया
गली के मोड़ से आवाज़ दे के लौट आए
तमाम रात उसे बे-क़रार रहने दिया
वो हम को तोड़ के जाता तो भूल जाते उसे
निकलने वाले ने लेकिन हिसार रहने दिया
न जाने क्या था कि उस से फ़रेब खा कर भी
उसी के हाथ में सब इख़्तियार रहने दिया
ये सर्द रुत भी हमें ख़ुद को तापते गुज़री
ग़ज़ल को हम ने मगर साया-दार रहने दिया
बड़ा गुमान था उस को हमारी चाहत का
'शकील' हम ने भी उस का ख़ुमार रहने दिया
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