जुड़ जाते तोड़े जाते अगर दरमियाँ से हम

By ahmad-kamal-hashmiMay 24, 2024
जुड़ जाते तोड़े जाते अगर दरमियाँ से हम
तोड़े मगर गए हैं यहाँ से वहाँ से हम
दुनिया पे अब यक़ीन भला आए किस तरह
रहते हैं अपने आप से कुछ बद-गुमाँ से हम


हम को ख़बर नहीं है कि जाएँगे हम कहाँ
ये भी पता नहीं है कि आए कहाँ से हम
उस की दलील ने किया इस बार लाजवाब
हर बार जीत जाते थे ज़ोर-ए-बयाँ से हम


पहुँचे नहीं ज़मीं पे मु'अल्लक़ ही रह गए
कुछ इस तरह से फेंके गए आसमाँ से हम
अब के वहाँ लगी हैं गुलों की नुमाइशें
काँटे बटोर लाए थे जिस गुलसिताँ से हम


हम तेज़ चल रहे थे बहुत इस लिए 'कमाल'
इस जुर्म पर निकाले गए कारवाँ से हम
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