जुस्तजू-ए-बहार आज भी है

By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
जुस्तजू-ए-बहार आज भी है
यार का इंतिज़ार आज भी है
तुम ने देखा था जिस नज़र से मुझे
उस नज़र का ख़ुमार आज भी है


हिज्र में तेरे कल भी रोते थे
चश्म-ए-दिल अश्क-बार आज भी है
अहल-ए-दुनिया बदल गए हम से
मै-कदा ग़म-गुसार आज भी है


आज भी दिल के हैं जवाँ जज़्बे
'आशिक़ों में शुमार आज भी है
दिल तो टूटा हुआ है 'साक़ी' का
लेकिन उम्मीदवार आज भी है


15977 viewsghazalHindi