कभी जो हम ज़रा बहुत सँभल गए

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
कभी जो हम ज़रा बहुत सँभल गए
तो छाँव छाँव धूप में निकल गए
मिरे लिए भी तो ख़ुदा नहीं रहा
तिरे गुनाहगार भी बदल गए


न जाने कैसी शक्ल देते आज को
वो फ़ैसले जो होते-होते टल गए
मिले हैं जो हमें ये काँच के बदन
कमाल है कि इतने रोज़ चल गए


ये ख़ौफ़ खाए जा रहा है अब मुझे
अगर कभी तमाशबीं बदल गए
जुदाई कह लिए इसे कि और कुछ
हम एक-दूसरे के सर से टल गए


सवाल ही को ओढ़िए बिछाइए
जवाब माँगने के दिन निकल गए
63406 viewsghazalHindi