कभी कभी ही वो मुझ से नहीं झगड़ता है

By dinesh-kumar-drounaFebruary 17, 2021
कभी कभी ही वो मुझ से नहीं झगड़ता है
वगर्ना देखता है और टूट पड़ता है
मिरी नज़र से तो है दूर वो बहुत लेकिन
मिरे ख़याल के हाँ आस-पास पड़ता है


हरा-भरा तो बहुत था वो बाँस का जंगल
किसे पता था मगर आग भी पकड़ता है
यक़ीन उस की रिफ़ाक़त का कर रहा हूँ मैं
कि जिस का काम मेरे दुश्मनों से पड़ता है


यहीं पे रब्त में आता है एक दोराहा
यहीं पे आ के मिरा राब्ता बिगड़ता है
मैं ऐसी जंग में हूँ एक ऐसी जंग जहाँ
मिरा ख़ुलूस ही मेरे ख़िलाफ़ लड़ता है


66226 viewsghazalHindi