कभी मेरे लिए दो पल निकालो
By hamza-bilalFebruary 26, 2024
कभी मेरे लिए दो पल निकालो
मिरे इस मसअले का हल निकालो
हैं सहरा-ज़ाद दीवाने तुम्हारे
मिरी जाँ ज़ुल्फ़ के बादल निकालो
मुझे डर लग रहा है तीरगी से
तुम अपनी आँख का काजल निकालो
वो बाहें अब किसी की हो चुकी हैं
अमाँ तुम बैग से कम्बल निकालो
जहाँ मिलते थे उस से आप 'हमज़ा'
वहाँ से क़ाफ़िला पैदल निकालो
मिरे इस मसअले का हल निकालो
हैं सहरा-ज़ाद दीवाने तुम्हारे
मिरी जाँ ज़ुल्फ़ के बादल निकालो
मुझे डर लग रहा है तीरगी से
तुम अपनी आँख का काजल निकालो
वो बाहें अब किसी की हो चुकी हैं
अमाँ तुम बैग से कम्बल निकालो
जहाँ मिलते थे उस से आप 'हमज़ा'
वहाँ से क़ाफ़िला पैदल निकालो
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