कभी तुम भीगने आना मिरी आँखों के मौसम में बनाना मुझ को दीवाना मिरी आँखों के मौसम में बरसता भीगता हो जब कोई लम्हा निगाहों में वहीं तुम भी ठहर जाना मिरी आँखों के मौसम में कई मौसम गुज़ारे हैं उन्हों ने धूप छाँव के नया मौसम कोई लाना मिरी आँखों के मौसम में सुनहरी धूप फैली हो कहीं यादों के जंगल में तो किरनें बन के मुस्काना मिरी आँखों के मौसम में कभी दो-चार हो जाएँ मिरी नज़रें जो तुम से तो छलक जाएगा पैमाना मिरी आँखों के मौसम में मिरी आँखों के सब मौसम हैं तन्हाई से घबराए न तन्हा छोड़ कर जाना मिरी आँखों के मौसम में हैं यूँ तो फ़ासले कितने ज़मानों के मकानों के मगर मिलते हो रोज़ाना मिरी आँखों के मौसम में