कहें हम क्या किसी से दिल की वीरानी नहीं जाती हमारी ज़िंदगी भी हम से पहचानी नहीं जाती ब-ज़ाहिर ऐसा लगता है सभी हैं मस्त दुनिया में मगर चेहरों से पोशीदा परेशानी नहीं जाती रवा-दारी की चादर से कहाँ तक ख़ुद को ढापेंगे कि इस कम-ज़र्फ़ दुनिया में तो ये तानी नहीं जाती बहुत समझा लिया दिल को बिछड़ना तो मुक़द्दर था न जाने क्यूँ मिरे दिल से पशेमानी नहीं जाती बहुत ही लाडला ठहरा ये माना दिल हमारा है मगर अब इस की हर इक बात तो मानी नहीं जाती