कहिए गर रब्त मुद्दई से है

By nizam-rampuriNovember 11, 2020
कहिए गर रब्त मुद्दई से है
कहते हैं दोस्ती तुझी से है
देखिए आगे आगे क्या कुछ हो
दिल की हरकत ये कुछ अभी से है


उस की उल्फ़त में जीते-जी मरना
फ़ाएदा ये भी ज़िंदगी से है
ज़िद है गर है तो हो सभी के साथ
या न मिलने की ज़िद मुझी से है


ख़ौफ़ से तुम से कह नहीं सकते
दिल में इक आरज़ू कभी से है
मुझ से पूछो हो किस से उल्फ़त है
तुम समझते नहीं किसी से है


रंजिश-ए-ग़ैर से नहीं मतलब
काम हम को तिरी ख़ुशी से है
इस क़दर आप हम पे ज़ुल्म करें
इस का इंसाफ़ आप ही से है


रश्क दुश्मन न सह सकेगा 'निज़ाम'
ये भी नाचार अपने जी से है
44203 viewsghazalHindi