कल तुम्हें याद करता रहा दोस्तो

By tuaqeer-chughtaiMarch 1, 2024
कल तुम्हें याद करता रहा दोस्तो
ऐ मिरे शहर के लापता दोस्तो
बात करने की फ़ुर्सत नहीं है तुम्हें
मुँह पे लिक्खा हुआ पढ़ लिया दोस्तो


उस ने दरिया पे खोला जो बंद-ए-क़बा
चल पड़ी साहिलों पर हवा दोस्तो
हुस्न की शान में क्या बुरा कह दिया
क्यों लगी 'इश्क़ की बद-दु'आ दोस्तो


हासिल-ए-गुफ़्तुगू थी मिरी ज़ात ही
एक महफ़िल जहाँ मैं न था दोस्तो
रेत पर नाम लिखते रहे सब मिरा
दिल पे तहरीर कब हो सका दोस्तो


44412 viewsghazalHindi