क़ल्ब-ओ-नज़र का सुकूँ और कहाँ दोस्तो कू-ए-बुताँ दोस्तो कू-ए-बुताँ दोस्तो मेरा ही दिल है कि मैं फिरता हूँ यूँ ख़ंदा-ज़न कम नहीं परदेस में दिल का ज़ियाँ दोस्तो जिन में ख़ुलूस-ए-वफ़ा और न शुऊ'र-ए-सितम मुझ को बिठाया है ये ला के कहाँ दोस्तो चार घड़ी रात है आओ कि हँस बोल लें जाने सहर तक हो फिर कौन कहाँ दोस्तो रब्त-ए-मरासिम के बा'द तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ ग़लत आग बुझाने से भी होगा धुआँ दोस्तो लाख छुपो साया-ए-गेसू-ए-शब-रंग में मिल नहीं सकती मगर ग़म से अमाँ दोस्तो शाइर-ए-'अरशद' हूँ मैं शाएर-ए-फ़ितरत हूँ मैं मिट नहीं सकता मिरा नाम-ओ-निशाँ दोस्तो