काँच आँखों में चुभोना तो नहीं बनता है
By sajid-raheemFebruary 28, 2024
काँच आँखों में चुभोना तो नहीं बनता है
फिर वही ख़्वाब पिरोना तो नहीं बनता है
जब कि ख़ुद तू ने जुदाई को चुना अपने लिए
फिर ये हर शब तिरा रोना तो नहीं बनता है
'ऐन मुमकिन है तिरा लम्स करामत कर दे
वर्ना पीतल कभी सोना तो नहीं बनता है
तू सदा दे तो न मुड़ कर तुझे देखूँ कैसे
कोई पत्थर मिरा होना तो नहीं बनता है
सिर्फ़ इक तेरी ही मर्ज़ी के है ताबे' ये दिल
सब के हाथों में खिलौना तो नहीं बनता है
कल किसी वक़्त यही 'इश्क़ के तम्ग़े होंगे
दिल के हर दाग़ का धोना तो नहीं बनता है
हम ने माना कि कहानी है उसी की लेकिन
उस का हर बाब में होना तो नहीं बनता है
फिर वही ख़्वाब पिरोना तो नहीं बनता है
जब कि ख़ुद तू ने जुदाई को चुना अपने लिए
फिर ये हर शब तिरा रोना तो नहीं बनता है
'ऐन मुमकिन है तिरा लम्स करामत कर दे
वर्ना पीतल कभी सोना तो नहीं बनता है
तू सदा दे तो न मुड़ कर तुझे देखूँ कैसे
कोई पत्थर मिरा होना तो नहीं बनता है
सिर्फ़ इक तेरी ही मर्ज़ी के है ताबे' ये दिल
सब के हाथों में खिलौना तो नहीं बनता है
कल किसी वक़्त यही 'इश्क़ के तम्ग़े होंगे
दिल के हर दाग़ का धोना तो नहीं बनता है
हम ने माना कि कहानी है उसी की लेकिन
उस का हर बाब में होना तो नहीं बनता है
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