करता है वो जफ़ा तो करे मैं वफ़ा करूँ
By riyazat-ali-shaiqNovember 14, 2020
करता है वो जफ़ा तो करे मैं वफ़ा करूँ
यूँ अपनी दोस्ती का फ़रीज़ा अदा करूँ
उस का शिआ'र वो है ये मेरा शिआ'र है
उस की जफ़ा के नाम मैं अपनी वफ़ा करूँ
उस का कभी जवाब न आया न आएगा
ये जानते हुए भी उसे ख़त लिखा करूँ
वादे पे उस के आने के घर को सजा लिया
अब उस के बा'द भी न वो आए तो क्या करूँ
इक लम्हा मेरी सम्त को वो मुल्तफ़ित तो हो
वो हाल-ए-दिल सुने तो बयाँ मुद्दआ' करूँ
की उस ने हर क़दम पे जफ़ाओं की इंतिहा
मैं भी न क्यूँ वफ़ाओं की फिर इंतिहा करूँ
जिस ने मिरी हयात को तारीक कर दिया
फिर भी मैं उस की राह में रौशन दिया करूँ
वो है जो मेरे क़त्ल का सामाँ किए हुए
मेरा नहीं शिआ'र कि मैं बद-दुआ' करूँ
ग़ालिब की ये ज़मीन है 'शाएक' ख़ुदा-गवाह
क्यूँ कर मैं इस ज़मीन का रुत्बा सिवा करूँ
यूँ अपनी दोस्ती का फ़रीज़ा अदा करूँ
उस का शिआ'र वो है ये मेरा शिआ'र है
उस की जफ़ा के नाम मैं अपनी वफ़ा करूँ
उस का कभी जवाब न आया न आएगा
ये जानते हुए भी उसे ख़त लिखा करूँ
वादे पे उस के आने के घर को सजा लिया
अब उस के बा'द भी न वो आए तो क्या करूँ
इक लम्हा मेरी सम्त को वो मुल्तफ़ित तो हो
वो हाल-ए-दिल सुने तो बयाँ मुद्दआ' करूँ
की उस ने हर क़दम पे जफ़ाओं की इंतिहा
मैं भी न क्यूँ वफ़ाओं की फिर इंतिहा करूँ
जिस ने मिरी हयात को तारीक कर दिया
फिर भी मैं उस की राह में रौशन दिया करूँ
वो है जो मेरे क़त्ल का सामाँ किए हुए
मेरा नहीं शिआ'र कि मैं बद-दुआ' करूँ
ग़ालिब की ये ज़मीन है 'शाएक' ख़ुदा-गवाह
क्यूँ कर मैं इस ज़मीन का रुत्बा सिवा करूँ
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