कारवाँ इश्क़ की मंज़िल के क़रीं आ पहुँचा
By abu-mohammad-wasil-bahraichiMay 20, 2024
कारवाँ इश्क़ की मंज़िल के क़रीं आ पहुँचा
ख़ुद मिरे दिल में मिरे दिल का मकीं आ पहुँचा
मेरे हर सज्दे से लब्बैक की आवाज़ आई
आस्ताँ भी तो मिरे नज़्द-ए-जबीं आ पहुँचा
तेरे दीवाने को अपना है न मंज़िल का है होश
अपने मरकज़ से चला और वहीं आ पहुँचा
ख़ुद मिरे दिल में मिरे दिल का मकीं आ पहुँचा
मेरे हर सज्दे से लब्बैक की आवाज़ आई
आस्ताँ भी तो मिरे नज़्द-ए-जबीं आ पहुँचा
तेरे दीवाने को अपना है न मंज़िल का है होश
अपने मरकज़ से चला और वहीं आ पहुँचा
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