कश्मकश में खुल न जाए आप का सर देखना

By ahmed-rais-nizamiMay 26, 2024
कश्मकश में खुल न जाए आप का सर देखना
पाँव फैलाने से पहले अपनी चादर देखना
ये सितम-सामानियाँ हक़ में हमारे जाएँगी
जीत होगी सब्र की हारेगा ख़ंजर देखना


फिर हर इक जानिब खिलेंगे ख़ुशनुमा ताज़ा गुलाब
फिर उड़ाए जाएँगे हर सू कबूतर देखना
क़र्ज़ के मलबे में दब कर रह गया हर इक मकीं
कितना महँगा पड़ गया है ख़्वाब में घर देखना


चार पैसे जो कमाने लग गया लख़्त-ए-जिगर
अब तुम्हें दिखलाएगा ये अपने तेवर देखना
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