क़ासिद नहीं ये वक़्त सवाल-ओ-जवाब का

By shankar-lal-shankarNovember 19, 2020
क़ासिद नहीं ये वक़्त सवाल-ओ-जवाब का
अब हाल ग़ैर है दिल-ए-ख़ाना-ख़राब का
तुम देखने की चीज़ हो देखा करे कोई
ये हुस्न ये जमाल ये आलम शबाब का


तम्हीद-ए-बे-ख़ुदी था कहाँ था हवास-ओ-होश
ख़ल्वत में आ के उन का उलटना नक़ाब का
क्या आतिश-ए-फ़िराक़ ने दिल पर असर किया
इन आँसुओं में मेरे मज़ा है कबाब का


हम ने तो अपनी आँख से देखा नहीं उन्हें
क़िस्सा सुना है हज़रत-ए-'शंकर' के ख़्वाब का
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